दीपावली मिलन एवं कवि गोष्ठी में कवियों ने सुनाए ग़ज़ल और गीत
शिवपुरी : भारतीय साहित्य एवं संस्कृति संस्थान के अध्यक्ष इंजी. अवधेश सक्सेना के निवास प्रेमधाम पर साहित्यकारों ने दीपावली मिलन का एक कार्यक्रम आयोजित किया जिसमें कवियों ने शाम को ग़ज़ल और गीतों से भरी सुहानी शाम में बदल दिया । मां सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण एवं दीप प्रज्वलन के साथ कार्यक्रम का शुभारंभ हुआ, अतिथियों का स्वागत सुकून शिवपुरी ने किया, सरस्वती वंदना श्याम बिहारी सरल ने अपनी मधुर आवाज़ में सुनाई मां सरस्वती ज्ञान दायिनी बुद्धि का भंडार दे, कवि गोष्ठी में मुख्य अतिथि डॉ हरि प्रकाश जैन हरि ने अपना एक पुराना गीत सुनाया आओ देहरी पर रखें इक दीप बाल के, प्रेम और सद्भाव की लौ को उज़ाल के दीपावली मिलन के मुख्य अतिथि विनय प्रकाश जैन नीरव ने सुनाया जुगनुओं से दोस्ती है, बियाबानों के सफ़र में फिर अंधेरा भी घना है, धंसकर नदी को पार करना है, उधर परछाइयों का पुल बना है । कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे रामकृष्ण मौर्य मयंक ने ग़ज़ल कही तुझे भूल जाना नहीं यार मुमकिन, वो यादें मिटाना नहीं यार मुमकिन, विशिष्ट अतिथि डॉ योगेंद्र शुक्ल ने अपने गीत में दीपक के मन की बात सुनाई दीवाली के पावन दिन पर मुझे जलाने से क्या होगा, पूछ रहा माटी का दीपक, किस किस के उर का घाव भरोगे केवल तुम इतना बतला दो । वरिष्ठ उस्ताद शायर इशरत ग्वालियरी ने अपनी ग़ज़ल से गोष्ठी को ऊंचाइयों पर पहुंचाया हो रही है अब जवां हर आरज़ू तेरी तरह, डर है न हो जाऊं रुसवा चार सू तेरी तरह, देश भर में अपनी शायरी का जलवा बिखेरने वाले जाने माने शायर सुकून शिवपुरी ने राम की भक्ति में डूब कर सुनाया जो मेरे राम के दर तक नहीं पहुंचती हो, जहां में ऐसी राह हो नहीं सकती, किया है राज खड़ाऊ ने जिनकी दुनिया पर, उन्हें हुकूमतों की चाह नहीं हो सकती । अवधेश सक्सेना अवधेश ने अपने गीत में धर्म को परिभाषित किया अर्थ सत्य का जान लिया तो ब्रह्म तत्व को जानोगे, सृष्टि नियम से चलता जीवन, ज्योति पुंज पहचानोगे । महेश भार्गव मधुर ने परिश्रम की महत्ता वाली अपनी रचना आयोजक अवधेश सक्सेना को समर्पित करते हुए प्रस्तुत की कठिन परिश्रम से जो मानव खुद अपनी पहचान बनाते धरम धरा पर निज कदमों के अविरल अमिट निशान बनाते । श्रीमती हेमलता चौधरी ने समय की गति एवं परिवर्तन को शब्दों में वर्णित करते हुए कहा गए हुए कल की परछाईं आज,आज फिर बनकर आई, और सांझ के ढलते ढलते उसको है फिर कल बन जाना । श्रीमती कल्पना सिनोरिया ने दोहे और शेर कहे ज़िंदगी पे कोई जोर चलता नहीं, मांगने से यहां कुछ मिलता नहीं, हार के ताने करते बहुत शोर हैं, दौर खुशियों का ज़्यादा ठहरता नहीं । राकेश मिश्रा रंजन ने राम आगमन पर अपनी प्रस्तुति दी राम के आगमन की जो आई खबर, तब से सजने लगे द्वार घर हर नगर, फूल माला सजी चौक से द्वार तक इंद्र पुर की झलक हमको आई नज़र।
बसंत श्रीवास्तव की कुंडलियां थी दूजा कोई है नहीं बस अपने हैं राम केवल नाम उच्चारिए बन जाएं सब काम, श्याम बिहारी सरल ने ग़ज़ल सुनाई इंसानियत का रिश्ता चुकाया नहीं गया, एक बार भी जहिन से बुलाया नहीं गया, जंजीर गुलामी की अकेले ही तोड़ दी, क्या हिंदुओं के संग मुसलमा नहीं गया । अशोक जैन ने व्यंग्य रचना सुनाई अग्रसेन महाराज की शिक्षा को आधुनिक समाज के युवाओं ने किस तरह अपनाया है, कार्यक्रम का संचालन कर रहे आदित्य शिवपुरी ने अपने शेर सुनाए महफ़िल अपने शबाब पर आई तेरे आने की जब ख़बर आई, सारे इनाम उनके हाथों में,सारी रुसवाई मेरे सर आई । कार्यक्रम के समापन पर अवधेश सक्सेना ने सभी का आभार प्रकट किया । कवि गोष्ठी का लाइव प्रसारण अवधेश कुमार सक्सेना के की फेसबुक पर देश विदेश के कई साहित्य प्रेमियों ने देखा और टाइम लाइन पर कभी भी देखा जा सकता है ।