सामाजिक एकता व समरसता विकास की कुंजी: शर्मा । शिवपुरी। अखिल भारतीय ब्राह्मण महासभा सनातन जिला शिवपुरी ईकाई की साप्ताहिक बैठक वार्ड क्रमांक 01 की नरसिंह कॉलोनी में आयोजित हुई, बैठक के मुख्य अतिथि पंडित सुरेश कुमार पाराशर धोलागढ़ वाले एवं कार्यक्रम की अध्यक्षता पंडित पुरुषोत्तम कान्त शर्मा तथा विशिष्ट अतिथि अखिल भारतीय ब्राह्मण महासभा सनातन के युवा समाजसेवी गजानन शर्मा एवं कैलाश नारायण भार्गव ने संयुक्त रूप से भगवान परशुराम के चित्र पर माल्यार्पण एवं दीप प्रज्वलित कर बैठक का शुभारंभ किया ।बैठक में सबसे पहले मंगलाचरण पंडित कैलाश नारायण मुदगल ने किया। स्वागत भाषण पंडित महावीर उपाध्याय ने दिया तथा बैठक को संबोधित करते हुए कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे ब्राह्मण समाज के जिला अध्यक्ष पंडित पुरुषोत्तम कांत शर्मा ने अपने उद्बोधन में कहां की सामाजिक एकता व समरसता एक दूसरे के पूरक है।
समरसता से ही सामाजिक एकता बनती है इसे ठीक प्रकार से क्रियान्वित करना समाज की मूलभूत आवश्यकता है , इसके लिए हमें सामाजिक एकता व समरसता के अर्थ का व्यापक अध्ययन करना आवश्यक है, संक्षेप्त में इसका अर्थ है सामाजिक समानता यदि व्यापक अर्थ देखें तो इसका अर्थ है जातिगत भेदभाव एवं अस्पृश्यता का जड़ मूल से उन्मूल कर लोगों में परस्पर प्रेम, एवं सौहार्द बढ़ाना तथा सामान के सभी वर्गों एवं वर्णो के मध्य एकता स्थापित करना समरसता का अर्थ है, सभी को अपने समान समझना। पंडित जगदीश अवस्थी ने कहा कि सृष्टि में सभी मनुष्य एक ही ईश्वर की संतान है और उनमें एक ही चेतन्य विद्यमान है, इस बात को हृदय से स्वीकार करना चाहिए यदि देखा जाए तो पुरातन भारतीय संस्कृति में कभी भी किसी के साथ किसी तरह का भेदभाव स्वीकार नहीं किया गया है। पंडित कैलाश नारायण पाण्डेय ने अपने विचार रखते हुई कहा कि हमारे वेदों में भी जाति या वर्ण के आधार पर किसी प्रकार की भेदभाव का उल्लेख नहीं है, गुलामी के कई साल व आक्रमणकारियों ने हमारे धार्मिक ग्रंथो में कुछ मिथ्या बातें जोड़ देने से आज भ्रम की स्थिति उत्पन्न हो गई है। हम सभी को ऐसा वातावरण बनाना चाहिए जिससे सामाजिक समरसता को बल मिल सके। पंडित गजानन शर्मा शिक्षक ने अपने विचार रखते हुई कहा कि इंसान के पतन का कारण भी आपसी एकता का न होना माना गया है जहां एकता है वही समरसता भी है ।पंडित सतीश सडैया ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि सामाजिक एकता का पाठ हमारी संस्कृति की अनुरूप युगों युगों से चला आ रहा है ठीक ऐसे ही पाठ हमें युवा पीढ़ी को बढ़ाने की जरूरत है सभी माता-पिता व गुरुओं का यह कर्तव्य बनता है कि वह आने वाली पीढ़ी को स्वयं भी इस प्रकार की शिक्षा दें कि सामाजिक व्यवहार और एकता मैं सामंजस्य बनाए रखने में अपनी सहभागिता सुनिश्चित करें , और हर किसी को इसकी सीख दें हमें युवा पीढ़ी को ऐसी शिक्षा देनी चाहिये जिससे अच्छे संस्कारों का निर्माण हो तभी समाज में एकता और समरसता का निर्माण संभव है। बैठक में मुख्य रूप से पंडित राम प्रकाश शर्मा करसैना नलिन अवस्थी विशंभर दयाल दीक्षित चंद्रप्रकाश कैप्टन नलिन अवस्थी सुरेंद्र पाठक राजेंद्र पांडे जी ओमप्रकाश समाधिया हरवंश त्रिवेदी एन पी अवस्थी रामेश्वर दयाल शर्मा ककरौआ वाले प्रताप दंडोतिया पिपरौदा कटारा आदि उपस्थित थे कार्यक्रम का संचालन पंडित हरगोविंद शर्मा ने किया तथा अंत में आभार नीलेश शर्मा कल्पना ट्रेवल्स वालों ने व्यक्त किया।