प्रमोद भार्गव व वंदना शिवहरे हुए सम्मानित।
साहित्य परिषद का दो दिवसीय प्रांतीय अधिवेशन ग्वालियर में सम्पन्न,शिवपुरी से 21 साहित्यकार हुए सम्मिलित।
शिवपुरी: विश्व की सबसे बड़ी साहित्यिक संस्था अखिल भारतीय साहित्य परिषद मध्यभारत प्रान्त का दो दिवसीय प्रांतीय अधिवेशन ऋषि गालव की तपोभूमि,भारत रत्न पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की कर्म भूमि ग्वालियर में सम्पन्न हुआ,जिसमे साहित्य क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य करने वाले शिवपुरी के प्रमोद भार्गव व कला क्षेत्र में विशेष कार्य करने वाली वंदना शिवहरे को सम्मानित किया गया।
ग्वालियर में आयोजित हुए प्रांतीय अधिवेशन का उद्घाटन ख्यातिनाम साहित्यकार संतोष चौबे ,राष्ट्रीय संगठन मंत्री श्रीधर पराड़कर,राष्ट्रीय अध्यक्ष सुशील चंद्र त्रिवेदी हरदोई, राष्ट्रीय महामंत्री ऋषिकुमार मिश्रा भोपाल व राष्ट्रीय संयुक्त महामंत्री पवनपुत्र बादल लखनऊ के द्वारा किया गया।उद्घाटन सत्र उपरांत शिवपुरी के वरिष्ठ साहित्यकार प्रमोद भार्गव को साहित्य क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य करने के लिए तो श्रीमती वंदना शिवहरे को कला मांडना के लिए सम्मानित किया गया,इनके अलावा लघु कथा के लिए अशोक जमनानी नर्मदापुरम,जवाहरलाल द्विवेदी गुना कुमकुम गुप्ता व दिनेश मालवीय भोपाल को भी उनके उल्लेखनीय कार्य के लिए सम्मानित किया गया।
उद्घाटन सत्र में साहित्य परिषद के तीन वर्षों के आयोजनों का प्रतिवेदन प्रान्त महामंत्री शिवपुरी के आशुतोष शर्मा द्वारा प्रस्तुत किया गया।
मुख्य अतिथि संतोष चौबे ने कहा कि उभरते भारत के रचना संसार को आज सभी अनुभव कर रहे है,किस तरह से साहित्य के माध्यम से जनजागृति जनचेतना आ रही है स्पष्ट दिख रहा है।राष्ट्रीय संगठन मंत्री श्रीधर पराड़कर ने कहा कि नैतिक मूल्यों को बचाने ,बढ़ाने में साहित्य की ही महत्वपूर्ण भूमिका होती है।
दो दिन में छह सत्र आयोजित हुए,जिसमे कला साहित्य संस्कृति का समावेश हुआ।हर सत्र में कुछ सीखने को मिला,कथा कथन ,मांडणा, नाट्यमन्चन,कहानी जैसी विलुप्त होती जा रही विधाओं को विकसित करने हेतु अधिवेशन में सार्थक पहल हुई।इन्हें बढ़ाने के लिए भी सत्रो में चर्चा हुई।प्रान्त के सभी 16 जिलों से आये हुए 250 से भी अधिक साहित्यकारों ने दो दिन तक साहित्य की हर विधा को बढ़ाने के मंथन के साथ संगठन विस्तार व आगामी आयोजनों पर भी चर्च करते हुए 2025 व 2026 में कुछ विशेष कार्य जैसे कथा कथन को हर जिले में आयोजित करने,मांडणा कला को पहुचाने नाट्यमन्चन के माध्यम से महापुरुषों के जीवन चरित्र से सभी को जोड़ने व कहानी का प्रशिक्षण भी करने की सहमति बनी।
उभरते भारत का रचना संसार इस विषय पर केंद्रित पुस्तक इंगित का विमोचन भी हुआ,जिसमे प्रान्त भर के लेखकों के लेख थे,इसका व्यवस्था गत संपादन आशुतोष शर्मा ने ही किया। शिवपुरी के 21 साहित्यकारों ने इस दो दिवसीय अधिवेशन में सहभागिता की।पूरे प्रान्त के 250 से अधिक साहित्यकार दो दिवस तक मौजूद रहे।प्रान्त अध्यक्ष डॉ कुमार संजीव उर्दू अकादमी की निदेशक व इस अधिवेशन की संयोजक नुसरत मेहंदी,ग्वालियर के बेहतरीन उद्घोष क दिनेश पाठक,बैतूल के सुनील पांसे व रायसेन के ख्यातिनाम कवि दिनेश याग्निक अधिवेशन की व्यवस्था टोली में रहे तो उपेंद्र कस्तूरे करुणा सक्सेना,शिवम सिसोदिया,पलक सिकरवार,आरती शर्मा अमित बिल्लोरे नर्मदापुरम और रामावतार शर्मा मुरैना ,बाबू घायल सीहोर ,राकेश सक्सेना राजगढ़ की भी महत्वपूर्ण भूमिका आयोजन में रही।अंत मे आभार दिनेश पाठक ने व्यक्त किया।