प्रधानमंत्री आवास योजना में रिश्वतखोरी का आरोप: शिवपुरी के 150 आदिवासी परिवारों ने वन विभाग की कार्रवाई का किया विरोध।
शिवपुरी। मध्य प्रदेश के शिवपुरी जिले में दो अलग-अलग गांवों के ग्रामीणों ने जन सुनवाई के दौरान अपनी गंभीर समस्याएं कलेक्टर के सामने रखीं। एक ओर, प्रधानमंत्री आवास योजना (पीएमएवाई) में भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए, पोहरी नगर परिषद के जाखनोद गांव के निवासियों ने वार्ड प्रभारी पर प्रति कुटीर 30 हजार रुपये की रिश्वत मांगने का आरोप लगाया है। दूसरी ओर, चन्दावनी गांव के 150 से अधिक आदिवासी परिवारों ने वन विभाग द्वारा उन्हें वन भूमि से बेदखल किए जाने का विरोध जताया है।
पीएमएवाई में भ्रष्टाचार का आरोप
जाखनोद गांव के ग्रामीणों ने कलेक्टर को बताया कि वार्ड प्रभारी, चंद्रशेखर यादव, पीएमएवाई के तहत आवास स्वीकृत करने के लिए 30,000 रुपये की रिश्वत मांग रहे हैं। ग्रामीणों के अनुसार, जो परिवार पैसे देने में असमर्थ हैं, उन्हें योजना के लिए अपात्र घोषित कर दिया जाता है। वहीं, जिन लोगों ने रिश्वत दी है, उन्हें, भले ही उनके पास पहले से ही दो मंजिला पक्के मकान हों, आवास योजना का लाभ मिल रहा है। गांव में अभी भी लगभग 50 परिवार कच्चे और झोपड़ीनुमा घरों में रहने को मजबूर हैं। ग्रामीणों ने वार्ड प्रभारी को तुरंत हटाने और सभी पात्र परिवारों को आवास प्रदान करने की मांग की है।
वन भूमि से बेदखली का विरोध
इसी जन सुनवाई में, चन्दावनी गांव के 150 से अधिक आदिवासी परिवारों ने अपनी दुर्दशा बताई। ये परिवार, जो वर्षों से सड़क किनारे झोपड़ियां बनाकर रह रहे हैं और तेंदूपत्ता संग्रहण जैसे कार्यों से अपनी आजीविका चलाते हैं, अब वन विभाग की कार्रवाई का सामना कर रहे हैं। वन विभाग इस जमीन पर प्लांटेशन करने की योजना बना रहा है, जिसके चलते उनकी झोपड़ियों को तोड़ा जा रहा है। इन परिवारों ने वन विभाग से प्लांटेशन की जगह बदलने या उन्हें रहने के लिए कोई वैकल्पिक स्थान उपलब्ध कराने की गुहार लगाई है।
ये दोनों घटनाएं शिवपुरी जिले में गरीब और वंचित समुदायों के सामने आने वाली चुनौतियों को उजागर करती हैं। जहां एक तरफ सरकारी योजनाओं के लाभ से उन्हें भ्रष्टाचार के कारण वंचित किया जा रहा है, वहीं दूसरी तरफ उन्हें अपनी पारंपरिक निवास स्थानों से भी विस्थापित होने का खतरा है। जिला प्रशासन से इन मामलों पर त्वरित कार्रवाई की उम्मीद है।