"सृष्टि की उत्पत्ति का आधार ग्रंथ हैं.
▪️ शब्द हमारे गुरु हैं. यह हमारे भारत की परंपरा हैं. यह हमारी संस्कृति हैं. नई तकनीक ने रीडिंग हैबिट की कमी विकसित की है.
▪️ आजकल पाठक नहीं मिल रहे ,उन्होंने कुछ और तरीके मनोरंजन के ईजाद कर लिए हैं.
▪️ इंटरनेट पुस्तक का विकल्प नहीं हो सकता. इसके माध्यम से कुछ और जानकारियों का इजाफा हुआ है.
▪ जरूरी साधन आ गए, जिसके माध्यम से हमारी जरूरतें सुविधाजनक हो गईं.
▪️ इसका श्रेय मात्र ही तकनीक को जाता है, लेकिन बच्चों की कल्पनाशक्ति को विस्तार आज भी पुस्तकें ही देती हैं.
▪️ यह सुविधा और विकल्प इंटरनेट नहीं दे सकता, तभी तो कहा गया है कि पुस्तकों का महत्त्व सदा से रहा है.
▪️ "पुस्तकें हमारे जीवन में श्रेष्ठ समय का निर्माण करती हैं. हम यह भी जानते हैं कि इंटरनेट के युग में ऐसी सूचनाएं भी मिल रही हैं, जिसकी कोई आवश्यकता नहीं.
▪️ इंटरनेट में एक ऐसा आकर्षण है जिसके पीछे नई पीढ़ी ने अपना समय लगा दिया, वह उसके नशे से उबरना नहीं चाहती.
▪️ शब्द हमारे सामने ईश्वर के समक्ष ही अपनी भूमिका निभाने में समर्थ है. आज नई पीढ़ी को घबराने की आवश्यकता नहीं है, संभल कर चलने की कवायद है.
▪️ इसके प्रति हमें यह देखना होगा कि हमारा लक्ष्य कितना समर्पित भाव लिए हुए है. ऐसा भी नहीं है कि इस तंत्र से छापेखाने को कोई खतरा नहीं है.
▪️ यहां तक की यदि आपकी मित्र पुस्तक हैं तो आपको किसी और की आवश्यकता नहीं पड़ेगी. पुस्तकों को अपने जीवन में जितने भी महापुरुष मिले हैं, उनकी जीवनियां पढ़कर मनुष्य अपना विकास कर सकता है.
▪️ भाषा का विकास देखें तो उसके पीछे पत्थर, तांबे के पत्र उदारहण हैं. आज ई-पुस्तक हमारे सामने है.
▪️ आज इंटरनेट के युग में धीरे-धीरे पुस्तक खत्म हो जाएंगी, यह डर लोगों को सता रहा था, लेकिन यह बात मिथ्या ही साबित हुई
▪️ ई-पुस्तक की खासियत है कि आज सैंकड़ों किताबें ईँपुस्तक में समा गई हैं. यह परंपरागत पुस्तकों से सस्ती भी है. इसका फैलाव ज्यादा किया जाना उचित है.
▪️ आज देखना यह है कि आज तीस प्रतिशत लोग नेट के माध्यम से इस तकनीक का लाभ उठा रहे हैं. शिकागो में एक रिसर्च हुई कि पुस्तकों की तुलना में ई-बुक्स पढ़ना ज्यादा तर्कसंगत है. यह माध्यम ज्यादा सुविधाजनक भी है,
▪️ यह आसानी से कैरी किया जा सकता है और स्थान भी कम घेरती है. दूसरी बात यह देखिए किताबों को तैयार करने के लिए कितने पेड़ों को काटना पड़ेगा, लेकिन नई तकनीक सेफ है. ई बुक्स की कमी है इसका उपयोग करने से एकाग्रता में कमी आती है.
▪️ आज भी पुस्तकों का अपना महत्व है, जिसकी खुशबू आज भी आनंदित करती है, यह महक ई-बुक्स में कहां सम्भव!
▪️ साथ ही बता दूँ की पुस्तकें आज भी प्रासंगिक हैं. ज्ञान को आत्मसात करने के लिए कोई भी माध्यम आज पुस्तक के सामने बेमानी है.
▪️ पुस्तक को हम अपनी सुविधानुसार पढ़ लेते हूँ, यह माध्यम नई तकनीक में सम्भव नहीं. पुस्तक अपने आप में महत्वपूर्ण है।
सारांश 👇👇👇
👉बहुत जरूरी है की जो एक पौधा सूखता जा रहा है,उसे पानी दिया जाये।
👉प्यासे व्यक्तियों के पास जा कर, उनको किताबें उपलब्ध करवाई जाये।
👉👉 हमारा दायित्व है अपनी पीढ़ी में यह भाव जागृत करना कि पुस्तकों का उनके जीवन में कितना असर पड़ सकता है, इस बात को समझने की आवश्यकता है.👈👈
✍️मणिका की कलम