शिवपुरी : आज शिवपुरी में भी भव्य चल समारोह निकाल मनाई जाएगी विष्णु भगवान की छठे अवतार भगवान परशुराम की जयंती.
यह भव्य चल समारोह परशुराम चौक से गाँधी पार्क तक निकाला जायेगा इसके उपरांत भगवान परशुराम की आरती एवं उनके जन्म की उत्सव की तौर पर सभी परशुराम भगवान की अनुयायी को प्रसाद प्रीतिभोज कराया जायेगा.
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आज देश भर में भगवान परशुराम का जन्मोत्सव धूमधाम से मनाया जा रहा है.
भगवान परशुराम को विष्णु भगवान का छठा अवतार माना जाता है. हिन्दू मान्यताओं के अनुसार भगवान परशुराम का जन्म दुष्टों का नाश करने के लिए हुआ था.
भगवान परशुराम ने समानता और न्याय पर जोर दिया.
भगवान परशुराम ने युद्ध द्वारा अपनी वीरता को परिभाषित किया. उन्हें भार्गव राम, जमदग्न्य राम के नाम से भी जाना जाता है.
भगवान परशुराम ऋषि जमदग्नि के पुत्र थे. उनकी माता का नाम रेणुका था.
उनका जन्म वैशाख मास, शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को हुआ था. इ
सी के चलते आज देश भर में परशुराम जन्मोत्सव मनाया जा रहा है. इसको लेकर पीएम मोदी, सीएम योगी आदित्यनाथ सहित कई बड़े नेताओं ने शुभकामनाएं दीं हैं.
ऐसा माना जाता है कि भगवान विष्णु ने परशुराम के रूप अवतार तब लिया था। जब पृथ्वी पर बुराई हर तरफ फैली हुई थी। योद्धा वर्ग, हथियारों और शक्तियों के साथ, अपनी शक्ति का दुरुपयोग कर लोगों पर अत्याचार करना शुरू कर दिया था। भगवान परशुराम ने इन दुष्ट योद्धाओं को नष्ट करके ब्रह्मांडीय संतुलन को बनाये रखा था।
हिंदू ग्रंथों में भगवान परशुराम को राम जामदग्नाय, राम भार्गव और वीरराम भी कहा जाता है। परशुराम की पूजा निओगी भूमिधिकारी ब्राह्मण, चितल्पन, दैवदन्या, मोहाल, त्यागी, अनावील और नंबुदीरी ब्राह्मण समुदायों के मूल पुरुष या संस्थापक के रूप में की जाती है।
अन्य सभी अवतारों के विपरीत हिंदू आस्था के अनुसार परशुराम अभी भी पृथ्वी पर रहते है। इसलिए, राम और कृष्ण के विपरीत परशुराम की पूजा नहीं की जाती है। दक्षिण भारत में, उडुपी के पास पजका के पवित्र स्थान पर, एक बड़ा मंदिर मौजूद है जो परशुराम का स्मरण करता है। भारत के पश्चिमी तट पर कई मंदिर हैं जो भगवान परशुराम को समर्पित हैं।
कल्कि पुराण के अनुसार परशुराम, भगवान विष्णु के दसवें अवतार कल्कि के गुरु होंगे और उन्हें युद्ध की शिक्षा देंगे। परशुराम विष्णु अवतार कल्कि को भगवान शिव की तपस्या और दिव्यास्त्र प्राप्त करने के लिए कहेंगे। यह पहली बार नहीं है कि भगवान विष्णु के 6 अवतार एक और अवतार से मिलेंगे। रामायण के अनुसार, परशुराम सीता और भगवान राम के विवाह समारोह में आए और भगवान विष्णु के 7 वें अवतार से मिले।
अग्रत: चतुरो वेदा: पृष्ठत: सशरं धनु: ।
इदं ब्राह्मं इदं क्षात्रं शापादपि शरादपि ॥
अर्थात : चार वेदन्यताता अर्थात् पूर्ण ज्ञान है और पीठपर धनुष्य-बाण अर्थात् शौर्य है।यहाँ ब्राह्मतेज और क्षात्रेज, उच्चासन विधायक हैं। जो सत्य का विरोध करेगा, उसे ज्ञान से या बाण से परशुराम परजित करेंगे।
✍️मणिका की कलम