वैदिक संस्कार के साथ होता है विवाह, इसे सहेजें और संरक्षित करें : यज्ञ ब्रह्मा स्वामी विदेह योगी।
गांधी परिवार द्वारा आयोजित चार दिवसीय यजुर्वेद पुराण यज्ञ का आज वैदिक यज्ञ विधि के साथ होगा समापन।
शिवपुरी- आज के समय में लोगों ने विवाह जैसे पवित्र संस्कारों को भी दिखावे का रूप दे दिया है जो कि उचित नहीं है, विवाह कोई हंसी-मजाक या खेल नहीं जो आए और अपने हिसाब से कर दिया, विवाह के लिए वैदिक संस्कारों की आवश्यकता है और आर्य समाज यह सिखाता और बताता है कि हमें वेदों की ओर से चलना है जब सृष्टि का निर्माण हुआ था तब से वेदों की वाणी ने धर्म का मार्ग प्रशस्त किया और हरेक मनुष्य को यह ध्यान रखना चाहिए कि वह अपने जीवन में जब विवाह की अवस्था में आकर गृहस्थ आश्रम में प्रवेश करें तो इसके लिए वैदिक मंत्रोच्चारण और संस्कारों को जरूर अपनाऐं साथ ही इसे सहेेजे और संरक्षित भी रखें ताकि आने वाली पीढ़ी भी आपके इन वैदिक संस्कारों को ग्रहण कर सकें।
विवाह संस्कार को लेकर यह आर्शीवचन दिए कुरूक्षेत्र से आए प्राकट्य वैदिक प्रवक्ता यज्ञ ब्रह्मा स्वामी विदेह योगी ने जिन्होंने शहर के कोर्ट रोड़ स्थित गांधी परिवार द्वारा आयोजित यजुर्वेद परायण यज्ञ के माध्यम से विवाह संस्कार पर अपने प्रवचन दिए। इस दौरान गांधी परिवार के मुख्य यजमान सुपुत्र समीर गांधी-श्रीमती कल्पना गांधी, यजमान सुपौत्र राशिल-श्रीमती आकांक्षा गांधी एवं सुपौत्री-दामाद वैभव-श्रीमती शिविका गांधी के द्वारा यजुर्वेद परायण यज्ञ में मंत्रोच्चारण के द्वारा आहुतियां दी गई। इस दौरान आर्य समाज के वरिष्ठजन एवं व्यवस्था श्री राणा अंकल एवं पाठ का कार्य ब्रह्मचारी रोहित आर्य एवं विकास कार्य नोएडा के द्वारा किया गया। यज्ञ ब्रह्मा स्वामी विदेह योगी जी ने बताया कि आज के समय में विवाह संस्कार भी ऐसे हो गए है जैसे दिखावा हो, पूर्व में यही नहीं होता था लेकिन आजकल विवाह घरों में नहीं बल्कि होटल पर होते है, मतलब हो-टल, ऐसे में यह आयोजन टालने जैसे होते है। हमें पुरातन परंपरों को भी सहेजना और उनके मार्ग पर चलना होगा, आर्य समाज ने वैदिक संस्कारों के माध्यम से सभी संस्कारों को बताया है जहां जन्म से लेकर विवाह और मृत्यु तक के सभी संस्कारों को वैदिक मंत्रोच्चारण एवं यज्ञ आहुतियों के द्वारा संपन्न कराने की विधियों को बताया गया है, इसलिए हरेक व्यक्ति अपने आत्मबल और घर में शांति-सुख-समृद्धि को बढ़ाने के लिए प्रतिदिन यज्ञ जरूर करें। स्वामी जी ने बताया कि आज हमें परंपराओं से दूर हो रहे है, आज के दौर में वैवाहिक आयोजन केवल भोजन करना, नाचना, गाना, शराब पीना आदि के ही रह गए लेकिन पूर्व में जब विवाह के समय वेदी के पास वर-वधु बैठते थे तो उन्हें स्वागत करना सिखाया जाता है, वधु की ओर से स्वागत किया जाता है, जिसमें वर पक्ष को सबसे पहले आसन, फिर जल लेकर अर्ध हाथ धोने को फिर आचमन पीने को जल दिया जाता है, मधुपरक दही और घर शहद मिलाकर के वधु पक्ष की ओर से वर पक्ष की ओर से दिया जाता है, लेकिन इसे खाने से पहले तीन काम कराए जाते है जिसमें पहले इसे ध्यान से देखो, स्वच्छता का ख्याल, दूसरा अब अंगूठा उंगली से मिला लो फिर तीसरी क्रिया में मंत्रों से चारो दिशाओं में दही छिड़काव कराया, ताकि गृहस्थी अपने पहले तुरंत मत खाना, जबकि अपने यहां बुजुर्ग, बच्चे, सेवक सेवकों को ओर बांटकर खिलाना फिर ऊपर की ओर छिड़काव मतलब की छत पर आने वाले पक्षियों को भी भोजन कराना यही परिवार को पालने की विधि है। इसे अपनाऐं और अन्य लोगों को भी प्रेरित करें तब निश्चित ही शुद्धता और समृद्धता का समावेश होगा। यजुर्वेद परायण यज्ञ का आज चौथे दिवस पर प्रात: 9 बजे से 12 बजे तक यज्ञ पुर्णाहुति के साथ चार दिवसीय कार्यक्रम का समापन किया जाएगा।